ग़ज़ल - मुझे आईना चाहिए था
हमें और क्या चाहिए था
प्यार आपका चाहिए था
बस इक नक्शे-पा की तलब थी
मुझे रास्ता चाहिए था
मरीज़े-मुहब्बत थे हम भी
इलाजे-वफ़ा चाहिए था
कहानी अटक सी गयी थी
कोई सिलसिला चाहिए था
बहुत था ग़ुरूर मुझे ख़ुद पे
मुझे आइना चाहिए था
मिला ही नहीं तो करें क्या
वही बेवफ़ा चाहिए था
© यमित पुनेठा 'ज़ैफ़'
प्यार आपका चाहिए था
बस इक नक्शे-पा की तलब थी
मुझे रास्ता चाहिए था
मरीज़े-मुहब्बत थे हम भी
इलाजे-वफ़ा चाहिए था
कहानी अटक सी गयी थी
कोई सिलसिला चाहिए था
बहुत था ग़ुरूर मुझे ख़ुद पे
मुझे आइना चाहिए था
मिला ही नहीं तो करें क्या
वही बेवफ़ा चाहिए था
© यमित पुनेठा 'ज़ैफ़'
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