ग़ज़ल - शीशे का दिल है

शीशे का दिल है, सो पत्थर नहीं देखे जाते
आज कल आपके तेवर नहीं देखे जाते

कुछ 'लगन' नाम की भी चीज़ तो होती होगी?
ऊँचे सपने कभी सोकर नहीं देखे जाते

कोई अबला लुटी तो सबने फिरा लीं नज़रें,
अब ज़माने में दिलावर नहीं देखे जाते
(दिलावर = brave)

रोक दो जंग, लहू बह रहा है हर जानिब
अब अज़ीज़ों के कटे सर नहीं देखे जाते

एक सीरत ही बहुत, हुस्न के चमकाने को,
लड़की अच्छी हो तो ज़ेवर नहीं देखे जाते
(सीरत = स्वभाव, character)

जो जाँ भी 'ज़ैफ़' हथेली पे लिए फिरते हैं,
उनकी आँखों में कभी डर नहीं देखे जाते

© यमित पुनेठा 'ज़ैफ़'

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